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हिंदी कहानी

पहली दो मछलियां अपने दोस्त को समझाने में असमर्थ रहीं, और स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने उसे छोड़कर जाने का फैसला किया।

स्कूल के पीछे नदी में,,,,,, प्रिंसिपल जी डूब रहे थे। एक छात्र ने जब ये देखा तो चिल्लाते हुए स्कूल की तरफ भागा .

बरसात के दिन थे. शीला बच्चों को लेकर शाला जा रही थी.

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एक विद्यार्थी ने उठकर उस रेखा उस रेखा के पास लम्बी रेखा खीच दी, जिससे पहली रेखा छोटी हो गईं.

एक लोमड़ी बहुत भूखी थी वह भोजन की खोज में इधर -उधर भटकने लगी वह एक बागमें जा पहुची.

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५० स्वर्ण मुद्राओं की बात सुनकर मूर्तिकार ख़ुश हो गया और महामंत्री के जाने के उपरांत प्रतिमा का निर्माण कार्य प्रारंभ करने के उद्देश्य से अपने औज़ार निकाल लिए.

खुद को स्वीकार करना ही खुशी का पहला कदम है। जो कुछ भी आपके पास नहीं है, उसके लिए दुखी होने के बजाय, आपके पास जो है, उसे स्वीकार करें।

बड़े बड़े छत्रपति राजा भी इन्हें अपना अपना कहकर चले गये, परन्तु साथ क्या ले गये?

वहां मिष्ठान के भरे थाल पहुचा दिए गये. प्रजापति दानवों के कमरे में गये.

काफी मेहनत के बाद भी काम बनता न देखकर वह दुखी होकर पेड़ की डाल पर ही रोने लगी.

दोनों भाई घर गये और अपने अपने घर से भोजन बनवाकर ले आए. महात्मा जी ने उन दोनों को बैठने के लिए कहा. तत्पश्चात उन्होंने भोजन के तीन भाग किए और दोनों भाइयों को भोजन करने का आदेश देकर भोजन करने लगे.

कुछ समय तक दोनों ही महात्मा जी के मुह की ओर ताकते रहे फिर बोलर- किन्तु यह कैसे संभव हैं ? भूमि भी कभी बोलती हैं.

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